Category: कबीर के दोहे

जिन खोजा तिन पाइया

जिन खोजा तिन पाइया जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ। मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।। कबीर दासजी कहते हैं कि जो हमेशा प्रयास करते रहते हैं …

कबीर की उल्टवासियाँ

कबीर की उल्टवासियाँ इस लेख में कबीरसाहेब की उल्टवासियाँ कही गयी हैं, जो समझ जाने पर सीधी हैं। साँझ पड़ी दिन ढल गया, बाघिन घेरी गाय। गाय बिचारी न …

अहंकार को अंग

अहंकार को अंग (कबीर के दोहे) अहंकार का वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं है, किन्तु सारे संसार के हर मनुष्य को इसने निगल रखा है। छोटे-से-छोटे और बड़े-से-बड़े व्यक्ति …

अब पछिताय होत क्या चिड़िया चुग गयी खेत

अब पछिताय होत क्या चिड़िया चुग गयी खेत आछे दिन पाछे गये, हरि से किया न हेत। अब पछिताय होत क्या, चिड़िया चुग गयी खेत।। यह दोहा आपने भले …

आत्म अनुभव को अंग

आत्म अनुभव को अंग (कबीर के दोहे) आत्मा कहते हैं अपने आपको। इस प्रसंग में अपने आपके अनुभव की ओर संकेत है। नर नारी के सुख को, खँसी नहीं …

निंदक नियरे राखिये

निंदक नियरे राखिये… निन्दक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निरमल करै सुभाय।। शायद ही कोई हिन्दी भाषी होगा, जिसने संत कबीर का यह दोहा न …

मांसाहार को अंग मुस्लिम के लिये

मांसाहार को अंग मुस्लिम के लिये कबीर के दोहे मांसाहार मनुष्य के लिये नहीं है, यह कबीर साहेब ने खुलेआम कहा है। उन्होंने इस सन्दर्भ में हिन्दुओं को भी …

मांसाहार को अंग हिन्दू के लिये

मांसाहार को अंग हिन्दू के लिये (कबीर के दोहे) मांस खाना न सेहत की दृष्टि से अच्छा है, न धर्म की दृष्टि से। मनुष्य केवल स्वाद के अभिभूत होकर …

दुष्टों से दूर रहें

दुष्टों से दूर रहें कबीर के दोहे विवेकहीन मूर्ख लोगों को कितना भी समझाया जाये, वे असार बातों को ही ग्रहण करते हैं; क्योंकि वे स्वभाव से ही दुष्ट …

भीख को अंग

भीख को अंग (कबीरदास के दोहे) अपने स्वाभिमान को भूलकर भीख माँगना मृत्यु के समान है। स्वाभिमान और अभिमान में बहुत अन्तर है। स्वाभिमान आपको भीतर से गिरने नहीं …