अष्ट सिद्धि नौ निधि

अष्ट सिद्धि नौ निधि

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता।।
हनुमान चालीसा की यह ३१ वीं चौपाई है। हनुमान भक्त चालीसा पठन के समय यह चौपाई पढ़ तो जाते हैं, परन्तु जानते नहीं कि ये आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ कौन-कौन-सी हैं?

आइये, सुगम ज्ञान संगम के इस पोस्ट में इस चौपाई का विस्तारपूर्वक अर्थ जानें। इसका सामान्य अर्थ है, आपको (हनुमानजी को) माता जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप (हनुमानजी) किसी को भी आठों सिद्धियाँ और नौ निधियाँ दे सकते हैं।

आठों सिद्धियाँ इस प्रकार हैं:⚊
(१) अणिमा : इस सिद्धि से साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठोर-से-कठोर पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
(२) महिमा : यह सिद्धि प्राप्त होने पर साधक अपने शरीर को विशालकाय बना सकता है।
(३) गरिमा : इस सिद्धि के प्रभाव से साधक स्वयं को जितना चाहे उतना, वज़नदार बना सकता है।
(४) लघिमा : यह सिद्धि प्राप्त होने पर साधक जितना चाहे उतना हल्का बन सकता है।
(५) प्राप्ति : इच्छित पदार्थों की प्राप्ति इसी सिद्धि से होती है।
(६) प्राकाम्य : इस सिद्धि द्वारा इच्छा करने पर पृथ्वी में समा जाना और आकाश में उड़ पाने की शक्ति प्राप्त होती है।
(७) ईशत्व : सब पर शासन का सामर्थ्य ईशत्व सिद्धि से ही प्राप्त होती है।
(८) वशित्व : यह सिद्धि प्राप्त होने से दूसरो को वश में किया जा सकता है।

नौ निधियाँ, माता लक्ष्मी की कृपा से साधक को प्राप्त होते हैं। परन्तु मइया सीता के आशीर्वाद से हनुमानजी ये सिद्धियाँ और निधियाँ अपने भक्तों प्रदान कर सकते हैं।

नौ निधियाँ इस प्रकार है:⚊
(१) पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्त्विक होता है तथा स्वर्ण आदि का संग्रह करके दान करता है।
(२) महापद्म निधि : महापद्म निधि से सम्पन्न व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक लोगों में करता है।
(३) नील निधि : निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से युक्त होता है। उसकी सम्पत्ति तीन पीढ़ी तक रहती है।
(४) मुकुन्द निधि : मुकुन्द निधि से सम्पन्न मनुष्य रजोगुणी होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।
(५) नन्द निधि : नन्द निधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है, वही कुल का आधार होता है।
(६) मकर निधि : मकर निधि सम्पन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है।
(७) कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामसी गुणवाला होता है, वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
(८) शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
(९) खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।

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