दारिद्र्यदहन स्तोत्र
दारिद्र्यदहन स्तोत्र महर्षि वसिष्ठ द्वारा रचित अद्भुत स्तोत्र है। शिवभक्तों को इसकी महिमा बतलाने की आवश्यकता नहीं। त्रिकाल सन्ध्या (प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल) में इसका पाठ करने से समस्त रोगों का निवारण होता है और हर प्रकार की सुख-समृद्धि पुत्र-पौत्रादि से मनुष्य सम्पन्न रहता है।
जिसके ऊपर क़र्ज़ा बहुत हो गया हो और कोई उपाय नहीं सूझ रहा हो, उसे नित्य भगवान शिव की आराधना करने दारिद्र्यदहन स्तोत्र का पाठ करना चाहिये। परन्तु यह तभी सम्भव है, जब हम इसका पाठ कर सकें।
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सुगम ज्ञान संगम के अध्यात्म + स्तोत्र संग्रह स्तम्भ (Category) के इस लेख में स्तोत्र के श्लोकों को छोटे-छोटे शब्द के रूप में दर्शाया गया ताकि आप सरलतापूर्वतक बोल सकें। प्रामाणिकता के तौर पर मूल श्लोक भी दिये गये हैं।
❀ दारिद्र्यदहन स्तोत्रम् ❀
(❑➧मूलश्लोक ❍लघुशब्द)
❑➧विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।१।।
❍विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णा मृताय शशि शेखर धारणाय।
कर्पूर कान्ति धवलाय जटा धराय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।१।।
❑➧गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।२।।
❍गौरी प्रियाय रजनीश कला धराय
कालान्त काय भुजगाधिप कङ्कणाय।
गङ्गा धराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।२।।
❑➧भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।३।।
❍भक्ति प्रियाय भव रोग भया पहाय
उग्राय दुर्ग भव सागर तारणाय।
ज्योतिर् मयाय गुण नाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।३।।
❑➧चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।४।।
❍चर्माम्बराय शव भस्म विलेपनाय
भाले क्षणाय मणि कुण्डल मण्डिताय।
मञ्जीर पाद युगलाय जटा धराय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।४।।
❑➧पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।५।।
❍पञ्चा ननाय फणि राज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवन त्रय मण्डिताय।
आनन्द भूमि वरदाय तमो मयाय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।५।।
❑➧भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।६।।
❍भानु प्रियाय भव सागर तारणाय
कालान्त काय कमलासन पूजिताय।
नेत्र त्रयाय शुभ लक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।६।।
❑➧रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवताराणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।७।।
❍राम प्रियाय रघुनाथ वर प्रदाय
नाग प्रियाय नरकार्णव ताराणाय।
पुण्येषु पुण्य भरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।७।।
❑➧मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।८।।
❍मुक्ते श्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीत प्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।
मातङ्ग चर्म वसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय।।८।।
❑➧वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यम् स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।।९।।
❍वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्व रोग निवारणम्।
सर्व सम्पत्करं शीघ्रं पुत्र पौत्रादि वर्धनम्।।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन् नित्यम् स हि स्वर्गम वाप्नुयात्।।९।।
।।इति महर्षिवसिष्ठविरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
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