देवी अपराध क्षमा स्तोत्र का अर्थ
प्रायः देवी उपासना में हुई भूल के प्रति देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् का पाठ किया जाता है। लेकिन इसका अर्थ जानने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीमद् शंकराचार्य ने देवी चरणों में भावविह्वल होकर स्वयं को समर्पित के दिया है। बड़ा ही अद्भुत स्तोत्र है यह! आइये,
www.sugamgyaansangam.com
सुगम ज्ञान संगम के अध्यात्म + स्तोत्र संग्रह स्तम्भ में इस स्तोत्र का मूलपाठ सहित हिन्दी में अर्थ जानते हैं
⚜ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् ⚜
(हिन्दी अर्थसहित)
❑➧न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम्।।१।।
❑अर्थ➠ हे माते! मैं तुम्हारा मन्त्र, यन्त्र, स्तुति, आह्वान, ध्यान, स्तुति-कथा, मुद्रा तथा विलाप कुछ भी नहीं जानता; परन्तु सब प्रकार के क्लेशों को दूर करनेवाला आपका ‘अनुसरण’ करना ही जानता हूँ।।१।।
❑➧विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत्।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति।।२।।
❑अर्थ➠ सबका उद्धार करनेवाली हे करुणामयी माता! तुम्हारी पूजा की विधि न जानने के कारण, धन के अभाव में, आलस्य से और उन विधियों को अच्छी तरह न कर सकने के कारण, तुम्हारे चरणों की सेवा करने में जो भूल हुई हो उसे क्षमा करो; क्योंकि पूत तो कुपूत हो जाता है, पर माता कुमाता नहीं होती।।२।।
❑➧पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति।।३।।
❑अर्थ➠ माँ! भूमण्डल में तुम्हारे सरल पुत्र अनेक हैं, पर उनमें से एक मैं ही बड़ा चंचल हूँ, तो भी हे शिवे मुझे त्याग देना तुम्हें उचित नहीं; क्योंकि पूत तो कुपूत हो जाता है, पर माता कुमाता नहीं होती।।३।।
❑➧जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरूपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति।।४।।
❑अर्थ➠ हे जगदम्ब! हे माते! मैंने तुम्हारे चरणों की सेवा नहीं की अथवा तुम्हारे लिये प्रचुर धन भी समर्पण नहीं किया तो भी मेरे ऊपर तुम यदि ऐसा अनुपम स्नेह रखती हो तो यह सच ही है कि पूत तो कुपूत हो जाता है, पर माता कुमाता नहीं होती।।४।।
❑➧परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
मया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम्।।५।।
❑अर्थ➠ हे गणेशजननि! मैंने अपनी पचासी वर्ष से अधिक आयु बीत जाने पर विविध विधियों द्वारा पूजा करने से घबराकर सब देवों को छोड़ दिया है, यदि इस समय तुम्हारी कृपा न हो तो मैं निराधार होकर किसकी शरण में जाऊँ?।।५।।
❑➧श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ।।६।।
❑अर्थ➠ हे माता अपर्णे! तुम्हारे मन्त्राक्षरों के कान में पड़ते ही चाण्डाल भी मिठाई के समान सुमधुर वाणी से युक्त बड़ा भारी वक्ता बन जाता है और महादरिद्र भी करोड़पति बनकर चिरकाल तक निर्भय विचरता है तो उसके जप का अनुष्ठान करने पर जपने से जो फल होता है, उसे कौन जान सकता है?।।६।।
❑➧चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम्।।७।।
❑अर्थ➠ हे भवानि! जो चिता का भस्म रमाये हैं, विष खाते हैं, नग्न रहते हैं, जटाजूट बाँधे हैं, गले में सर्प की माला पहने हैं, हाथ में खप्पर लिये हैं, पशुपति और भूतों के स्वामी हैं, ऐसे शिवजी ने भी, जो एकमात्र जगदीश्वर की पदवी प्राप्त की है, वह तुम्हारे साथ विवाह होने का ही फल है।।७।।
❑➧न मोक्षस्याकाङ्क्षा भवविभववाञ्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखी सुखेच्छापि न पुनः।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः।।८।।
❑अर्थ➠ हे चन्द्रमुखी माता! मुझे मोक्ष की इच्छा नहीं है, सांसारिक वैभव की भी लालसा नहीं है, विज्ञान तथा सुख की भी अभिलाषा नहीं है; इसलिये मैं तुमसे यही माँगता हूँ कि मेरी सारी आयु मृडानी, रुद्राणी, शिव-शिव, भवानी आदि नामों के जपते-जपते ही बीते।।८।।
❑➧नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः।
श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव।।९।।
❑अर्थ➠ हे श्यामे! मैंने अनेकों उपचारों से तुम्हारी सेवा नहीं की (यही नहीं, इसके विपरीत) अनिष्ट (बुरे) चिन्तन में तत्पर अपने वचनों से मैंने क्या नहीं किया? (अर्थात् अनेकों बुराइयाँ की हैं) फिर भी मुझ अनाथ पर यदि तुम कुछ कृपा रखती हो तो यह बहुत ही उचित है, क्योंकि तुम मेरी माता हो।।९।।
❑➧आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति।।१०।।
❑अर्थ➠ हे दुर्गे! हे दयासागर महेश्वरी! जब मैं किसी विपत्ति में पड़ता हूँ तो तुम्हारा ही स्मरण करता हूँ, इसे तुम मेरी दुष्टता मत समझना; क्योंकि भूखे-प्यासे बालक अपनी माँ को ही याद किया करते हैं।।१०।।
❑➧जगदम्ब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि।
अपराध परम्परावृतं न हि माता समुपेक्षते सुतम्।।११।।
❑अर्थ➠ हे जगज्जननी! मुझ पर तुम्हारी पूर्ण कृपा है, इसमें आश्चर्य ही क्या है? क्योंकि अनेक अपराधों से युक्त पुत्र को भी माता त्याग नहीं देती।।११।।
❑➧मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि।
एवं ज्ञात्वा महादेवि यथा योग्यं तथा कुरु।।१२।।
❑अर्थ➠ हे महादेवि! मेरे समान कोई पापी नहीं है और तुम्हारे समान कोई पाप नाश करनेवाला नहीं है, यह जानकर जैसा उचित समझो, वैसा करो।।१२।।
इति श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् ।
Mere man ko bahut shanti mili apki jankari padhkar. Easa lga jese mujhe isi ki talaas thi. Mata Rani ke sloko ka hindi me anuwad karke. Bahut hi punya ka kaam kiya h. Mere man ko itni parsanta mili ki Mujhe sabd nhi mil rhe likhne ko. Bahut dino se durge maa ke baare me or jyada janne ki lalsa thi. Apne Kuchch hadd tak use shant karne ka kaam kiya h. Mata Rani ki krapa aap par bni rhe. Apka bahut dhanyawad 🙏
नेहा दीदी,
आपने कॅमेण्ट बॉक्स में अपने विचार व्यक्त करके मुझे इस दैवी कार्य के लिये प्रोत्साहन दिया है। आपको हृदयपूर्वक धन्यवाद! मैं धीरे-धीरे प्रामाणिक प्रकाशनों के आधार पर समस्त देवी-देवताओं के स्तोत्र एवं उनके अर्थ इस वेबसाइट पर अपलोड करूँगा ताकि दर्शकों को सही शब्द-वर्तनी प्राप्त हो। उन्हें कहीं भटकने की आवश्यकता न पड़े।
रुद्राष्टकम को झिलमिल सीतारों का आंगन होगा ।
रिमाझिम बरसता सावन होगा ।।
कि धुन पर गा कर अपलोढ़ करे बहुत ही सुन्दर लगेगा ।
रुद्राष्टकम को झिलमिल सीतारों का आंगन होगा ।
रिमाझिम बरसता सावन होगा ।।
कि धुन पर गा कर अपलोढ़ करे बहुत ही सुन्दर लगेगा ।
yadi aap shri ganesh ji or shri laxmi ji ki sampun puja vidhi laghu rup (bolna sikhe) me video banakar website par upload kre to bahut kripa hogi.
na keval uprokt blki yadi bari bari se sabhi puja vidhiyo ki video laghu rup me video banakar website par upload kre to bahut kripa hogi.