नियत और नीयत

नियत और नीयत

इन दोनों शब्द में केवल मात्रा का फ़र्क़ है। बहुत-से लोग इन दोनों शब्दों को लेकर दुविधा में रहते हैं कि इनमें से सही कौन-सा है, ग़लत कौन-सा है? जबकि ये दोनों ही शब्द सही हैं। हाँ, दोनों के अर्थ भिन्न-भिन्न हैं। हमें इसके बारे में मालूम नहीं, इसलिये हम सोच में पड़ जाते हैं कि सही क्या है, ग़लत क्या है?

आइये,
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सुगम ज्ञान संगम के हिन्दी साहित्य + शब्द ज्ञान स्तम्भ में नियत और नीयत शब्द के अन्तर समझें।

नियत का अर्थ होता है, निश्चित, जो पहले से तय हो। इसे वाक्य प्रयोग द्वारा समझें─
१) मुझे वहाँ नियत समय पर पहुँचना था लेकिन पहुँचने में देरी हो गयी।
२) अच्छा हुआ, मैं नियत समय पर पहुँच गया, अन्यथा लोगों के सामने शर्मसार होना पड़ता।

नीयत का अर्थ होता है, ईमान, इरादा इसे वाक्य प्रयोग द्वारा समझें─
१) जिसकी नीयत में ही खोट है, उसका क्या भरोसा?
२) आज के ज़माने में किसी की नीयत का क्या भरोस‍ा, कौन कब किसे धोखा दे दे?

उपरोक्त उदाहरण से आप भलिभाँति समझ गये होंगे कि नियत और नीयत में क्या अन्तर है। बस, लिखते समय या बोलते समय यह ध्यान रखें कि आप क्या लिख रहे हैं और क्या बोल रहे हैं। यदि नियत लिखकर आपके दिमाग़ में है कि मैंने नीयत लिखा है तो आप निश्चित ही, जिसे भाषा की समझ है, उसके लिये हँसी के पात्र बन जायेंगे। आज-कल Whatsapp वग़ैरह पर इन दोनों शब्दों की बड़ी दुर्दशा होती। अक्सर नीयत की जगह नियत का प्रयोग करते मैंने लोगों को देखा है। यह ग़लती इसलिये होती है कि उन्हें इस बारे में पता ही नहीं है कि इन दोनों शब्दों में केवल छोटी (इ) – बड़ी (ई) की मात्रा लगने से इनके अर्थ बदल जाते हैं।

आइये, इन शब्दों को ध्यान में रखने का एक और पहलू आपको बता दें।

नीयत में बड़ी ई की मात्रा होती है और ईमान में भी बड़ी ई होती है। अतः बड़ी ई से बना शब्द ‘नीयत’ (ईमान) है।

इसी प्रकार नियत में छोटी इ की मात्रा होती है और निश्चित में भी छोटी इ की मात्रा होती है, अतः छोटी इ से बना शब्द ‘नियत’ (निश्चित) है।

आशा करता हूँ, इस पोस्ट को पढ़कर आप दोनों शब्दों का अर्थ भलिभाँति समझ गये होंगे।

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