बर्फ़ पानी में क्यों तैरती है?

बर्फ़ पानी में क्यों तैरती है?

यह एक साधारण अनुभव की बात है कि जब बर्फ़ का टुकड़ा पानी में डाला जाता है तो डूबत‍ा नहीं, अपितु तैरता रहता है। बर्फ़ का बड़े से बड़ा टुकड़ा भी पानी में डूबेगा नहीं, बल्कि तैरता है। यहाँ तक कि बर्फ़ का पहाड़ भी समुद्र में तैरता ही रहता है। क्या तुम जानते हो कि बर्फ़ पानी में क्यों तैरती है? आइये, https://sugamgyaansangam.com के इस पोस्ट में अपनी इस जिज्ञासा को शान्त करते हैं।

वस्तुओं का पानी में तैरने का सिद्धान्त सबसे पहले ग्रीस के वैज्ञानिक आर्किमिडीज़ ने दिया था। जिसके अनुसार जब किसी वस्तु को पानी में डाला जाता है तो वह वस्तु पानी को हटाती है।  इस वस्तु पर दो तरह के बल कार्य करते हैं।
१) वस्तु का भार (बल) नीचे की ओर दबाव डालता है और
२) पानी द्वारा लगाया गया उत्प्लावन बल (Upthrust or Buoyant Force) उसे ऊपर की ओर ढकेलता है।

जब वस्तु का भार उत्प्लावन बल के बराबर या कम होता है तो वह वस्तु पानी में तैरती है, अर्थात जब उस वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गये पानी के भार के बराबर या कम होता है तो वस्तु पानी में तैरती है और यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गये पानी के भार से अधिक है तो वह पानी में डूब जाती है।

इसलिये कोई भी वस्तु पानी में तभी तैरेगी, जब उसका भार उसके आयतन के भार पानी के भार के बराबर होगा। लकड़ी का टुकड़ा पानी में इसलिए तैरता है; क्योंकि उसका भार उसके समान आयतन पानी के भार से आधा होता है, अतः लकड़ी का आधा भाग पानी में डूब जाता है और आधा पानी के ऊपर रहता है।

आमतौर पर पदार्थ जब द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में बदलते हैं अर्थात् ठोस अवस्था में आने पर उनके अणु आस-पास आ जाते हैं, जिसके फलस्वरूप उनका आयतन कम हो जाता है।

आयतन कम हो जाने पर उनका घनत्व बढ़ जाता है और वे ठोस अवस्था में द्रव अवस्था की अपेक्षा भारी हो जाते हैं, लेकिन पानी एक ऐसा द्रव है, जब यह बर्फ़ में परिवर्तित होता है तो सिकुड़ने की बजाय फैलता है। बर्फ़ का आयतन पानी के आयतन से लगभग नौवाँ हिस्सा अधिक हो जाता है। यदि नौ लीटर पानी की बर्फ़ जमाई जाये तो बर्फ़ का आयतन लगभग दस लीटर हो जायेगा।

यहाँ यह जान लेना भी बहुत ज़रूरी है कि ‘लीटर’ पानी का भार नहीं बताता, बल्कि आयतन बताता है। इस प्रकार बर्फ़ का आयतन बढ़ने से उसका घनत्व पानी के घनत्व का ९/१० वाँ भाग रह जाता है, अर्थात बर्फ़ पानी से १/१० भाग हल्की हो जाती है।

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि बर्फ़ का टुकड़ा पानी में डाला जाय तो इसका ९/१० भाग पानी में डूब जाएगा और १/१० भाग पानी के ऊपर रहेगा; क्योंकि बर्फ का भार उसके द्वारा हटाये गये पानी के भार का ९/१० भाग है, यही कारण है कारण है कि बड़े-बड़े हिमखण्डों का बहुत बड़ा भाग पानी में डूबा रहता है और दसवाँ हिस्सा पानी के ऊपर तैरता रहता है।

बर्फ़ का आयतन पानी के आयतन से अधिक होने के कारण ही ठण्डे स्थानों पर मज़बूत-से-मज़बूत पानी के पाइप फट जाते है; क्योंकि जैसे ही पानी जमता है, उसका आयतन बढ़ जाता है और आयतन बढ़ने से इतना बल उत्पन्न होता है कि पाइप फट जाती है।

फिनलैण्ड जैसे देश में इसी गुण को प्रयोग में लाकर बड़े-बड़े चट्टान तोड़े जाते हैं। वहाँ पर जब चट्टानें तोड़नी होती हैं तो उनके बीच ख़ाली जगह पर पानी भर दिया जाता है, जब वह पानी बर्फ़ बनता है तो फैलता है, उसके दबाव से बड़े-बड़े चट्टानों में दरारें पड़ जाती हैं।