मच्छर बलवान या मनुष्य?
हर जीव का स्वभाव है, जिस बात से उसे दुःख हो, वह उससे निजात पाना चाहता है। यह स्वभाव प्रकृति के हर जीव में देखा जा सकता है, फिर वह किसी भी योनि में हो। कोई भी जीव नहीं चाहता, उसके सुख में कोई भी बाधा उत्पन्न हो। जब सुख में बाधा उत्पन्न होती है तो जीव दुःखी हो जाता है।
बात उस समय की है जब विधाता की इस दुनिया में इन्सान मच्छर से दुःखी था, आज भी दुःखी है और मच्छरों को इस बात का दुःख था, हमारे काटने से इन्सानों की मौत नहीं होती, जब कि साँप और बिच्छू हैं, इनके काटने से इन्सान की मौत हो जाती है। क्यों न हम भी विधाता के पास जाकर यह वरदान माँगें कि हमारे काटने से इन्सान की मौत हो जाये तो फिर मज़े से ख़ून चूसेंगे।
दूसरी ओर इन्सान सोच रहा था कि इस संसार से मच्छरों का नामो-निशान नहीं होना चाहिये, ये हमें रात को सोने नहीं देते, जब चाहें तब हमारा ख़ून चूसते हैं और हमें बीमार कर देते हैं।
दोनों पहुँचे ब्रह्माजी के पास।
मच्छर बोले- “पितामह, हमें वरदान दो कि हमारे काटने से इन्सान की मौत हो जाये।”
मनुष्य बोले- “आपने अपनी सृष्टि में मच्छर को बनाया ही क्यों? मच्छर की प्रजाति ही समाप्त कर दो।”
दोनों की बात सुनकर ब्रह्माजी चिन्तित हो उठे, सोचने लगे, मच्छर तो काटने से मनुष्य की मौत चाहते हैं और मनुष्य तो मच्छर को देखना ही नहीं चाहते। यदि इनकी माँग पूरी कर दूँ, सृष्टि-व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न होगा।
उन्होंने शर्त रखी- “मैं दोनों की माँग पूरी कर दूँगा, बस मेरी एक-एक शर्त दोनों को पूरी करनी होगी।”
मच्छर और मनुष्य दोनों ने हामी भरी…
ब्रह्माजी बोले- “सुनो, यदि मच्छर मनुष्य की एक थप्पड़ भी सह लेंगे तो मच्छर के काटने से मनुष्य की मौत हो जायेगी और मनुष्य यदि जानते हुए जी भरकर मच्छर को अपना रक्तपान करने देंगे, तो इस सृष्टि में से मच्छर की प्रजाति ही समाप्त हो जायेगी।”
ब्रह्माजी की दोनों शर्त पूरी आज तक न मच्छर पूरी कर पाया है, न मनुष्य! मच्छर मनुष्य के एक हाथ को भी सहन नहीं कर पाता, मनुष्य का छोटा-सा बच्चा भी यदि हाथ रख दे, मच्छर सीधे यमलोक पहुँच जाते हैं और कोई भी मनुष्य जानते भर में मच्छर को अपना ख़ून चूसने नहीं देता, तुरन्त मार देता है।
यह कहानी तो काल्पनिक है, लेकिन कहानी की सच्चाई मच्छर और मनुष्य दोनों के जीवन में देखी जाती है, मच्छर मनुष्य का एक थप्पड़ सहन नहीं कर पाता। मच्छर मनुष्य के आगे कुछ नहीं है, फिर भी मच्छर मनुष्य जाति के लिये चुनौती है, मनुष्य आज भी सोचता है कि मच्छर की प्रजाति ही नष्ट हो जाये। न जाने मच्छरों को मारने के लिये कितनी दवाइयाँ बनी हैं और भविष्य में बनेगी। गुडनाइट, आलआउट बनाये तो गये हैं, लेकिन सबकी गुडनाइट को बैडनाइट और आलआउट को नाकआउट मच्छर कर देते हैं।
अपने को सुखी करने की यह परम्परा चली आ रही है, और चलती ही रहेगी। मच्छर और मनुष्य का यह संघर्ष चलता रहेगा। मनुष्य के एक थप्पड़ से मर जानेवाले मच्छर भी मनुष्य के लिये चुनौती हैं।
दोनों में कौन बलवान है, कॅमेण्ट बॉक्स में ज़रूर बतायें? मच्छर या मनुष्य?