वर्ण विचार
भाषा की ईकाई
किसी भी भाषा को समझने के लिये ध्वनि, स्वर, व्यञ्जन, वर्ण, अक्षर, शब्द और वाक्य-रचना को समझना आवश्यक होता है। जब यह पूर्णतः सार्थक होते हैं, तब एक-दूसरे के विचारों को सही ढंग से समझा जा सकता है। आइये इस पोस्ट में हम ध्वनि, स्वर, व्यञ्जन, वर्ण और अक्षर की परिभाषा जानें
ध्वनि की परिभाषा:-
ध्वनि का अर्थ है, आवाज़। भाषा का आरम्भ ध्वनि से ही होता है। इसके अभाव में भाषा को समझना कष्टप्रद हो जाता है। ध्वनि तो वैसे स्वतन्त्र है, किन्तु भाषा को लेकर हम कह सकते हैं, ध्वनि के माध्यम भाषा को बोला और सुना जा सकता है। दूसरे रूप में इसकी परिभाषा होगी, बोलने और सुनने की मध्यस्तता ध्वनि कहलाती है।
वैसे तो ध्वनि में स्वर, व्यञ्जन, वर्ण, अक्षर, शब्द और वाक्य-रचना सब कुछ समाहित हो जाता है; किन्तु भाषा की ईकाई को समझा जाये तो स्वर और व्यञ्जन की गिनती ध्वनि में होती है।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ
ये सारे स्वर ध्वनि हैं।
इस तरह सारे व्यञ्जन ध्वनि हैं
क् ख् ग् घ् ङ् आदि।
व्यञ्जनों को स्वर की सहायता से ही उच्चारण किया जा सकता है
जैसे क् + अ = क
केवल व्यञ्जनों का उच्चारण सम्भव नहीं, ये मात्र ध्वनि बनकर रह जाते हैं।
स्वर की परिभाषा:-
सामान्यतः स्वर का अर्थ भी ध्वनि या आवाज़ समझा जाता है, किन्तु भाषा की दृष्टि से स्वर उन ध्वनियों को कहते हैं, जिनका उच्चारण किसी अन्य वर्णों की सहायता के बिना किया जा सकता है। दूसरे रूप में स्वर की परिभाषा होगी, स्वतन्त्र रूप से बोले जानेवाले वर्ण स्वर कहलाते हैं।
हिन्दी में अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
ये ग्यारह स्वर हैं।
ध्यान दें:-
समस्त ‘स्वर’ ध्वनि, वर्ण और अक्षर हैं।
व्यञ्जन की परिभाषा:-
जिन वर्णों का उच्चारण दूसरे वर्णों और स्वर के बिना नहीं हो सकता, उन्हें व्यञ्जन कहते हैं अर्थात् व्यञ्जन केवल ध्वनि हैं, स्वर की सन्धि हुए बिना इनका उच्चारण सम्भव नहीं।
उदाहरण क् ख् ग् घ् ङ् ये व्यञ्जन हैं।
व्यञ्जन
क् ख् ग् घ् ङ्
च् छ् ज् झ् ञ्
ट् ठ् ड् ढ् ण्
त् थ् द् ध् न्
प् फ् ब् भ् म्
य् र् ल् व् श् स् ह्
किन्तु ये स्वर से जुड़ जाने पर वर्ण बन जाते हैं,
जैसे क्+अ=क
स्वर-युक्त व्यञ्जन
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व श
ष स ह क्ष त्र ज्ञ
जब हम स्वर युक्त व्यञ्जन का उच्चारण करते हैं, तब हमारी जीभ वर्ण की प्रकृति अनुसार मुँह के अनेक हिस्से (दन्त, मूर्धा, तालू आदि) से रगड़ खाती है और मुख से उष्ण हवा बाहर निकलती है। बिना वायु के निकले वर्ण का उच्चारण सम्भव नहीं है।
वर्ण की परिभाषा:-
वर्ण में स्वर और स्वर-युक्त व्यञ्जन दोनों आ जाते है। वर्ण का शाब्दिक अर्थ होता है, रंग; जैसे गौरवर्ण, श्याम वर्ण आदि। रंग से ध्वनियों को आड़ी, तिरछी, वर्तुल रेखाएँ खींचकर दिखाया जा सकता है अर्थात् वर्ण से ही ध्वनियों को लिखित रूप दिया जा सकता है, जिसे हम लिपि भी कह सकते हैं।
वर्ण के बिना भाषा को लिखित रूप में समझना असम्भव है। जैसे गुजराती, कन्नड़, अंग्रेज़ी, उर्दू इत्यादि भाषाओं में जो आकार किसी स्वर या व्यञ्जन को दर्शाने के लिये निश्चित किये गये हैं, वही आकार उस भाषा की वर्णमाला कहलाती है।
સુગમ જ્ઞાન સંગમ
ಸುಗಮ ಜ್ಞಾನ ಸಂಗಮ
Sugam Gyaan Sangam
آسان علم سنگم
सुगम ज्ञान सङ्गम
विशेष बात
वर्ण मान्यताओं के आधार पर निर्मित होता है। समय के अनुसार इसमें सुधार या परिवर्तन भी होते हैं। जैसे देवनागरी में अ को वर्तमान समय में अ इस तरह लिखा जाता है, किन्तु पहले इस तरह लिखा जाता था…
अक्षर की परिभाषा:-
सभी स्वर और स्वर-युक्त व्यञ्जन अक्षर हैं। इसकी परिभाषा होगी, जिस ध्वनि या ध्वनि-समूह का उच्चारण एक श्वासाघात में हो उसे अक्षर कहते हैं। जैसे ग, गा, अ आ।
१) सभी स्वर ध्वनि और अक्षर दोनों हैं।
२) सभी व्यञ्जन ध्वनि हैं, किन्तु अक्षर नहीं हैं, क्योंकि वे स्वतन्त्र रूप से उच्चार्य नहीं हैं। व्यञ्जन अक्षर तब बनता है, जब उसके साथ स्वर जुड़ा रहता है। अक्षर में एक से अधिक ध्वनियाँ हो सकती हैं।
क् + अ = क
यह क वर्ण का विच्छेदन है
क् यह केवल ध्वनि है, जिसे व्यञ्जन कहा जाता है, बिना स्वर के व्यञ्जन का उच्चारण सम्भव नहीं।
अ ध्वनि भी है, स्वर तो है ही, वर्ण और अक्षर भी है
क वर्ण भी है, स्वर-युक्त व्यञ्जन और अक्षर भी है।
इसी आधार पर कबीरजी ने प्रेम को ढाई अक्षर कहा है।
प्रेम का वर्ण विच्छेदन करके
प् + र् + ए + म् + अ = प्रेम
केवल प् आधा अक्षर नहीं हो सकता है; क्योंकि यह केवल ध्वनि है, किन्तु यह र् से जुड़ा है और र् ए से जुड़ा है, इसलिये प् आधा अक्षर, रे एक अक्षर और म् + अ एक अक्षर हुआ, कुल मिलाकर ढाई अक्षर हुए।
यह उदाहरण केवल अक्षरों का विश्लेषण करने के लिये बताया गया है। भाषा की दृष्टि से प्रेम को दो अक्षर ही माना जायेगा; क्योंकि आधे की गिनती भाषा में मान्य नहीं है।
ज्योत्स्ना शब्द में दो वर्ण हैं, दो अक्षर हैं।
अगस्त्य में तीन वर्ण हैं, तीन अक्षर हैं।
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