शंख के फ़ायदे
सनातन धर्म में शंख का विशेष महत्त्व है। प्रायः पूजा-पाठ, आरती, राज्यभिषेक आदि प्रसंग पर शंखनाद किया जाता है। यहाँ तक कि युद्ध की घोषणा की जाती है, तब भी शंखनाद किया जाता है। शंखनाद केवल उदघोषणा का माध्यम नहीं। शंखनाद का अपना आध्यात्मिक महत्त्व तो है ही, साथ ही हमारी घरेलू ज़िन्दगी में इसका विशेष महत्त्व है, इसलिये मन्दिरों के अलाव घरों में भी शंख रखा जाता है। इनके अलावा अनेक लाभ हैं शंख के, आइये इस पोस्ट में पढ़कर जानें।
जहाँ लोगों का समूह इकट्ठा होता है, वहाँ शंखनाद पवित्र एवं सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है, इसलिये सनातन धर्म में पूजा-पाठ या युद्ध के समय इकट्ठा हुए लोगों के बीच शंखनाद करने की परम्परा रही है ताकि नकारात्मक विचारधारा का व्यक्ति भी सकारात्मक विचारों के ओत-प्रोत हो जाये।
भगवान श्रीहरि कहते हैं, “जो शंख में जल लेकर ‘ॐ नमो नारायणाय’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए मुझे नहलाता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है। जो जल शंख में रखा जाता है, वह गंगाजल के समान हो जाता है। तीनों लोकों में जितने तीर्थ हैं, वे सब मेरी आज्ञा से शंख में निवास करते हैं, इसलिए शंख श्रेष्ठ माना गया है। जो शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर मुझे अर्घ्य देता है, उसे अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है। जो वैष्णव मेरे मस्तक पर शंख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिड़कता है, उसके घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता। मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ मेरा पूजन मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करनेवाला है।
-स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड
यह तो शंख का आध्यात्मिक प्रभाव है। आध्यात्मिकता के साथ-साथ यह स्वास्थ्य के लिये भी परम हितकारी है।
शंख के कुछ स्वास्थ्य प्रयोग
शंखजल का छिड़काव एवं पीने के फ़ायदे:-
शंख में जल भरकर उसे पूजा-स्थान में रखे जाने और पूजा-पाठ, अनुष्ठान होने के बाद श्रद्धालुओं पर उस जल को छिड़कने का कारण यह है कि इसमें कीटाणुनाशक शक्ति होती है और शंख में जो गंधक, फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा होती है उसके अंश भी जल में आ जाते हैं। इसलिए शंख के जल को छिड़कने और पीने से स्वास्थ्य सुधरता है।
इतना ही नहीं, कोई बालक तोतला अथवा गूँगा है तो शंख में पानी रख दो। सुबह का रखा हुआ पानी शाम को, शाम का रखा हुआ पानी सुबह को ५०-५० मि.ली. उस बच्चे को पिलाओ और उसके गले में छोटा-सा शंख बाँध दो।
१-२ चुटकी (५० से १०० मि.ग्रा.) शंख भस्म को शहद के साथ सुबह-शाम चटाओ तो वह बच्चा बोलने लग जायेगा। शंख भस्म अन्य कई रोगों में भी एक प्रभावकारी औषधि है।
गर्भिणी स्त्री शंख का पानी पिये तो उसके कुटुम्ब में २-४ पीढ़ियों तक तोतला या गूँगा शिशु नहीं पैदा होगा। यह हमारे भारत की खोज है, पाश्चात्य वैज्ञानिको की खोज नहीं है। गूँगे और तोतले व्यक्ति को शंख फायदा करता है और शंख की ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है।