शिवाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्
शिवाष्टोत्तरशतनाम का अर्थ होता हैं शिवजी के १०८ नाम। भगवान् शिव के १०८ नामवाला यह स्तोत्र बड़ा ही अद्भुत है। स्कन्द महापुराण इसका उल्लेख है। इसके पाठ से त्रिविध तापों का शमन, रोग-शोक, ग्रहपीड़ा का निवारण होता है। जीवन में आरोग्य, सौभाग्य, दीर्घायु, विद्या, धर्म में रुचि और भगवान् शिव की भक्ति की प्राप्ति होती है। इसमें कुल १७ श्लोक हैं। यह स्तोत्र अनुष्टुप् छन्द पर आधारित होने के कारण बहुत ही सरल है।
जो शिवभक्त शिवसहस्रनाम स्तोत्र का पाठ नहीं कर सकते हैं, उन्हें शिवजी के ये १०८ नामवाले इस स्तोत्र का पठन करना चाहिये; क्योंकि यह सरल होने के साथ साथ संक्षिप्त भी है।
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सुगम ज्ञान संगम के अध्यात्म + स्तोत्र संग्रह स्तम्भ में इन श्लोकों के छोटे शब्दों की सहायता से आप इसे आसानी से पढ़ सकते हैं। मूलश्लोक गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित शिवस्तोत्र रत्नाकर पर आधारित हैं।
शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
(❑➧मूलश्लोक ❍लघुशब्द)
❑➧जय शम्भो विभो रुद्र स्वयम्भो जय शङ्कर।
जयेश्वर जयेशान जय जय सर्वज्ञ कामदम्।।१।।
❍ जय शम्भो विभो रुद्र
स्वयम्भो जय शङ्कर।
जयेश्वर जयेशान
जय जय सर्वज्ञ कामदम्।।१।।
❑➧नीलकण्ठ जय श्रीद श्रीकण्ठ जय धूर्जटे।
अष्टमूर्तेऽनन्तमूर्ते महामूर्ते जयानघ।।२।।
❍ नीलकण्ठ जय श्रीद
श्रीकण्ठ जय धूर्जटे।
अष्टमूर्ते ऽनन्त मूर्ते
महामूर्ते जयानघ।।२।।
❑➧जय पापहरानङ्गनिःसङ्ग भङ्गनाशन।
जय त्वं त्रिदशाधार त्रिलोकेश त्रिलोचन।।३।।
❍ जय पापहरा नङ्ग
निःसङ्ग भङ्ग नाशन।
जय त्वं त्रिदशाधार
त्रिलोकेश त्रिलोचन।।३।।
❑➧जय त्वं त्रिपथाधार त्रिमार्ग त्रिभिरूर्जित।
त्रिपुरारे त्रिधामूर्ते जयैकत्रिजटात्मक।।४।।
❍ जय त्वं त्रिपथाधार
त्रिमार्ग त्रिभि रूर्जित।
त्रिपुरारे त्रिधामूर्ते
जयैक त्रिजटात्मक।।४।।
❑➧शशिशेखर शूलेश पशुपाल शिवाप्रिय।
शिवात्मक शिव श्रीद सुहृच्छ्रीशतनो जय।।५।।
❍ शशि शेखर शूलेश
पशुपाल शिवाप्रिय।
शिवात्मक शिव श्रीद
सुहृच्छ्री शतनो जय।।५।।
❑➧सर्व सर्वेश भूतेश गिरिश त्वं गिरीश्वर:।
जयोग्ररूप भीमेश भव भर्ग जय प्रभो।।६।।
❍ सर्व सर्वेश भूतेश
गिरिश त्वं गिरीश्वर:।
जयोग्ररूप भीमेश
भव भर्ग जय प्रभो।।६।।
❑➧जय दक्षाध्वरध्वंसिन्नन्धकध्वंसकारक।
रुण्डमालिन् कपाली त्वं भुजङ्गाऽजिनभूषण।।७।।
❍ जय दक्षाध्वर ध्वंसिन्
नन्धक ध्वंस कारक।
रुण्डमालिन् कपाली त्वं
भुजङ्गा ऽजिन भूषण।।७।।
❑➧दिगम्बर दिशानाथ व्योमकेश चितापते।
जयाधार निराधार भस्माधार धराधर।।८।।
❍ दिगम्बर दिशानाथ
व्योमकेश चितापते।
जयाधार निराधार
भस्माधार धराधर।।८।।
❑➧देवदेव महादेव दैवतेशादिदैवत।
वहि्नवीर्य जय स्थाणो जयायोनिजसम्भव।।९।।
❍ देवदेव महादेव
दैव तेशादि दैवत।
वहि्नवीर्य जय स्थाणो
जया योनिज सम्भव।।९।।
❑➧भव शर्व महाकाल भस्माङ्ग सर्पभूषण।
त्र्यम्बक स्थपते वाचाम्पते भो जगताम्पते।।१०।।
❍ भव शर्व महाकाल
भस्माङ्ग सर्प भूषण।
त्र्यम्बक स्थपते वाचाम्
पते भो जगताम्पते।।१०।।
❑➧शिपिविष्ट विरूपाक्ष जय लिङ्ग वृषध्वज।
नीललोहित पिङ्गाक्ष जय खट्वाङ्गमण्डन।।११।।
❍ शिपि विष्ट विरूपाक्ष
जय लिङ्ग वृषध्वज।
नील लोहित पिङ्गाक्ष
जय खट्वाङ्ग मण्डन।।११।।
❑➧कृत्तिवास अहिर्बुध्न्य मृडानीश जटाम्बुभृत्।
जगभ्रातर्जगन्मातर्जगत्तात जगद्गुरो।।१२।।
❍ कृत्तिवास अहिर्बुध्न्य
मृडानीश जटाम्बु भृत्।
जगभ्रातर् जगन्मातर्
जगत् तात जगद्गुरो।।१२।।
❑➧पञ्चवक्त्र महावक्त्र कालवक्त्र गजास्यभृत्।
दशबाहो महाबाहो महावीर्य महाबल।।१३।।
❍ पञ्च वक्त्र महा वक्त्र
काल वक्त्र गजास्य भृत्।
दशबाहो महाबाहो
महा वीर्य महाबल।।१३।।
❑➧अघोरघोरवक्त्र त्वं सद्योजात उमापते।
सदानन्द महानन्द नन्दमूर्ते जयेश्वर।।१४।।
❍ अघोर घोर वक्त्र त्वं
सद्योजात उमापते।
सदानन्द महानन्द
नन्दमूर्ते जयेश्वर।।१४।।
❑➧एवमष्टोत्तरशतं नाम्नां देवदेवकृतं तु ये।
शम्भोर्भक्त्या स्मरन्तीह शृण्वन्ति च पठन्ति च।।१५।।
❍ एव मष्टोत्तर शतं नाम्नां
देव देव कृतं तु ये।
शम्भोर् भक्त्या स्मरन्तीह
शृण्वन्ति च पठन्ति च।।१५।।
❑➧न तापस्त्रिविधस्तेषां न शोको न रुजादय:।
ग्रहगोचरपीडा च तेषां क्वापि न विद्यते।।१६।।
❍ न तापस् त्रिविधस् तेषां
न शोको न रुजादय:।
ग्रह गोचर पीडा च
तेषां क्वापि न विद्यते।।१६।।
❑➧श्रीः प्रज्ञारोग्यायुष्यं सौभाग्यं भाग्यमुन्नतिः।
विद्या धर्मे मति: शम्भोर्भक्तिस्तेषां न संशय:।।१७।।
❍ श्रीः प्रज्ञा रोग्या युष्यं
सौभाग्यं भाग्य मुन्नतिः।
विद्या धर्मे मति: शम्भोर्
भक्तिस् तेषां न संशय:।।१७।।
❑➧इति श्री स्कन्द महापुराण शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
❍ इति श्री स्कन्द महा पुराण शिवाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
HELLO…. PRANAAM… THANKS FOR THIS BEAUTIFUL STOTRA.. I WANT THIS PAATH IN MP3 VERSION OF BRAHMAN CHANTS IF YOU COULD PROVIDE ME OR A PDF FILE IF YOU DONT HAVE MP3 VERSION,I WILL BE LOTS OF THANK FUL FOR YOU
सादर प्रणाम,
बहुत सुंदरता से पाठ किया आपने, इसका विनियोग देने की भी कृपा करें, यह न मिलने के कारण बहुत परेशान हो रहा हुँ!
धन्यवाद!