सुविचार
❀ ज़िन्दगी ❀
बिना कुछ किये
ज़िन्दगी गुज़ार देने से कहीं अच्छा है,
ग़लतियाँ करते हुए
ज़िन्दगी को नया मोड़ देना।
ज़िन्दगी वज्र की तरह जियो
जो पर्वत से बहुत छोटा होता है,
लेकिन उसके प्रभाव से
बड़े-बड़े पर्वत भी चकनाचूर हो जाते हैं।
ज़िन्दगी में सबके दर्द एक जैसे हैं
मगर हौसले सबके अलग हैं
कोई हताश हो के बिखर जाता है,
तो कोई संघर्ष करके निखर जाता है।
❀ धैर्य ❀
बदला लेने की नहीं
बदलाव लाने की सोच रखिये।
समझदार व्यक्ति वह नहीं
जो ईंट का जवाब पत्थर से दे।
समझदार वो है, जो फेंकी हुई ईंट से,
अपना आशियाना बना ले।
ज़िन्दगी में दुःख-तकलीफ़ आने पर
धैर्य धारण करने से मनुष्य आधी लड़ाई
अपने-आप ही जीत लेता है।
जीवन में हर बात, हर व्यक्ति को
सहन करना सीखें;
क्योंकि हममें भी बहुत-सी कमियाँ हैं,
जिन्हें दूसरे लोग सहन करते हैं।
❀ कल्पना ❀
यह संसार मन का खेल है
क्या हार, क्या जीत?
यदि हारा हुआ इन्सान भी मुस्कुरा दें
तो निश्चित ही जीतनेवाला भी
अपनी जीत की ख़ुशी खो देता है,
उसकी मुस्कान का क़ायल हो जायेगा।
क्योंकि हार और जीत मन की ही कल्पना हैं।
धरती एक ही है।
देश, राज्य, सीमाओं के नाम…
ये सब व्यवहार के लिये उपयोगी हैं;
उसी प्रकार हम सब परमात्मा के अंश हैं
नाम, शोहरत, इज़्ज़त, स्वाभिमान
व्यवहार के लिये तो ठीक हैं,
परन्तु मन के कहने पर
इनसे जुड़ जाना हमारी मूर्खता है।
❀ विचारधारा ❀
विचारधारा एक हो,
तो देव-दानव की भी मित्रता हो सकती है।
विचारधारा अलग हो,
तो देव-देव भी शत्रु हो सकते हैं।
कल के विचारों का परिणाम आज है।
आज के विचारों का परिणाम कल है।
बीते हुए कल और आनेवाले कल के बीच
इस संसार में हम सब कितने विकल हैं…?
❀ समझ ❀
किसी को ग़लत समझने से पहले
एक बार उसके हालात समझने की
कोशिश ज़रूर करो।
हो सकता है, हम सही हों,
लेकिन मात्र हमारे सही होने से
सामनेवाला ग़लत नही हो सकता।
समझदार वह नहीं,
जो अपने अनुभव से कुछ सीखे
समझदार वह है जो दूसरों के अनुभव को
अपनी सीख बना ले।
❀ अहंकार ❀
कभी भी अपने हुनर पर
अभिमान नहीं करना;
क्योंकि पत्थर जब पानी में गिरता है तो
अपने ही वज़न से डूब जाता है।
जैसे जैसे आपका नाम ऊँचा होता है,
वैसे वैसे शान्त रहना सीखिये।
क्योंकि आवाज़ हमेशा सिक्के ही करते हैं
नोटों को कभी बजते नहीं देखा।
❀ सत्संग ❀
जिस प्रकार गंगा की रेत के
बहते पानी में पड़े-पड़े
खुरदुरा पत्थर भी अपने-आप
चिकनाई पाकर गोल हो जाता है;
उसी प्रकार गुरु, ईश्वर और सत्संग के
केवल सान्निध्य में रहने से
मनुष्य के जीवन में अनायास ही
सदगुण पनपने लगते हैं।
कितनी भी मुश्किलें आ जायें
जो सत्संग नहीं छोड़ता,
वह अन्ततः ईश्वर का प्रिय
बन जाता है।
सत्संग से ही यह जाना है कि
व्यक्तित्व की भी अपनी वाणी होती है
जो लेखनी या जीभ के इस्तेमाल बिना भी,
लोगों के अन्तर्मन को छू जाती है।
आधा-अधूरा ज्ञान
उस भोजन के समान होता है,
जिसे खाकर व्यक्ति
बीमार हो सकता है,
इसलिये सत्संगी बनो।
परमात्मा सूर्य की तरह हैं,
जिनके प्रकाश की बराबरी
असंख्य दीये जलकर भी
नहीं कर सकते।
❀ न्याय और समाधान ❀
कभी भी समाधान होना चाहिये, न्याय नहीं;
क्योंकि न्याय में एक का घर दीप जलता है
दूसरे घर में अँधेरा होता है,
किन्तु समाधान में दोनों के घर दीप जलते हैं।
❀ विश्वास ❀
किसी को धोखा देकर यह मत सोचो
कि वह कितना मूर्ख है!
अपितु यह सोचो कि उसे आप पर
कितना विश्वास था…!
❀ असलीयत ❀
जोकर से सवाल पूछा गया
चेहरे पर मुखौटा क्यों लगाते हो?
बड़ा ही सटीक जवाब था जोकर का
लगाते तो सब है जनाब!
बस मेरा नज़र आता है।
❀ सफ़लता ❀
ज़िन्दगी में लगातार
असफल होने पर भी
निराश नहीं होना चाहिये।
कभी-कभी गुच्छे की
आख़िरी चाभी
ताला खोल देती है।