हिन्दी दिवस

हिन्दी दिवस
(भारत का दुर्भाग्य!)

Hindi Divas

यदि यह पोस्ट प्रधानमन्त्री मोदी तक पहुँचे जाये तो इसे मैं अपना सौभाग्य समझूँगा। हिन्दी प्रेमियों को सुगम ज्ञान संगम की तरफ़ से शुभकामनाएँ! अन्त तक अवश्य पढ़ें।

भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है, किन्तु अंग्रेज़ी बोलने में लोगों को फ़क़्र महसूस होता है। कान्वेण्ट स्कूल में बच्चों पढ़ा-लिखाकर माता-पिता स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं कि मेरा बच्चा इंग्लिश पढ़ रहा है, किन्तु इंग्लिश पढ़ने के साथ-साथ अपनी संस्कृति और सभ्यता को वह भूलता जा रहा है, इस पर अभिभावकों ध्यान नहीं जाता।

आज के समय में दक्षिण भारत के केरल आदि राज्यों में लोगों को हिन्दी नहीं आती और हिन्दी बोलनेवाले को हेय दृष्टि से देखा जाता है। यह भारत का दुर्भाग्य है। भारतवासी अपने माँ-बाप को भूलकर किसी अन्य को माँ-बाप अपना मान बैठे हैं।

अधिकांश लोग अंग्रेज़ी बोलकर अपना रुतबा बनाना चाहते हैं। जिसे इंग्लिश बोलना नहीं आता, उस पर हँसते हैं। जो सन्तान अपने माँ-बाप की इज़्ज़त नहीं कर सकती, वो दूसरे के माँ-बाप की क्या इज़्ज़त करेगी?

जापान जैसा उन्नत देश, बेधड़क जैपेनिश भाषा का प्रयोग करता है, यह नहीं सोचता कि लोगों को समझ में आयेगा या नहीं। जापान निर्मित किसी भी उत्पाद पर पहले जैपेनिश भाषा में उसका विवरण लिखा जाता है, बाद में अन्य भाषाओं में। किन्तु भारत में पहले इंग्लिश में लिखा जाता है, हिन्दी हो न हो, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

सरकारी कामकाज में हिन्दी का विकल्प सिर्फ़ नाममात्र के लिये है, यदि हिन्दी में भरकर आवेदन पत्र दे दिया जाये तो कर्मचारी देखने लगता है और अक्सर यही बोलता है प्लीज़ इंग्लिश में भरकर दें स्पेलिंग मिस्टेक नहीं होगा। यदि बैंक आदि में अपना खाता क्रमांक हिन्दी में लिख दो, कर्मचारी घबरा जाता है। इसमें दोष उनका नहीं हमारी शिक्षा-प्रणाली का है; क्योंकि बचपन से ही उनके भीतर इंग्लिश का कीड़ा रेंग रहा है। हक़ीक़त यह है कि लोगों को न हिन्दी ही अच्छी तरह से आती है, अंग्रेज़ी!

सच तो यह है कि अंग्रेज़ी मात्र एक भाषा है, यदि यह नहीं आती तो इसमें अपमान समझना, हमारी मूर्खता है। इस बोलकर आडम्बर रचनेवालों को क्या हिन्दी भाषा अच्छी तरह से आती है? अधिकांश लोगों को नहीं आती! तो फिर हमें अंग्रेज़ी नहीं आती है, इसमें शर्म की बात नहीं। शर्म तो तब आनी चाहिये कि पश्चिमी देश का व्यक्ति जब संस्कृत के श्लोक बोलता है और हमें अपनी संस्कृति का ही ज्ञान न हो।

अपने आपको शिक्षित समझनेवाले लोग अंग्रेज़ी का बुर्का पहनकर अपनी धाक जमाते हैं, लेकिन उन नामसझ लोगों को यह समझ नहीं है कि बिन हिन्दी के तुम्हारी लुटिया डूब जायेगी। आज दक्षिण भारत में जो हालात उत्पन्न हो रहे हैं, वो पूरे भारत के लिये दुर्भाग्य है।

वह दिन सच में भारत के लिये सच में गौरवशाली होगा जब पूरे भारत में प्राशासनिक काम-काज के लिये हिन्दी भाषा को प्राथमिकता देकर मान्यता दे दी जायेगी। यदि एक बार इसके प्रति ठोस क़दम उठा लिया जाये तो निश्चित ही भारत देश की पहचान भारत के रूप में होगी, न कि इण्डिया के रूप में!

यह कार्य इसी समय में हो सकता है; क्योंकि हिन्दी भाषा का प्रेमी ही भारत की गरिमा को हिन्दी से जोड़ सकता है। केवल हिन्दी दिवस मनाने से यह दुर्भाग्य नहीं बदल सकता। इस पर डटकर सोचना होगा।

हिन्दी दिवस पर कविता
(Hindi Divas Poem)

❛ हिन्दी है भाषा हमारी…❜

हिन्दी है भाषा हमारी देश भारत है।
संस्कार है नींव और संस्कृति इमारत है।।

संस्कृति अपनी बचाकर जो भी रख पाये।
वो ही भारत देश की सन्तान कहलाये।।

स्वयं संस्कृत से निकलकर हिन्दी है आई।
इसमें स्नेह की है मधुरता और गहराई।।

हिन्दी कहना हिन्दी लिखना हिन्दी में व्यवहार।
कर सकेगा वो ही जिसको देश से हो प्यार।।

अपनी माँ को माता कहने से जो शरमाओ।
चुल्लू भर पानी में शर्म से डूब मर जाओ।।

तुच्छ है हिन्दी अगर ये सोच है मन में।
हिन्दी बिन कुछ कर दिखाओ अपने जीवन में।।

हिन्दी बिन भारत में कुछ भी हो नहीं पाये।
फिर भी गरिमा इसकी हम सब समझ ना पाये।।

फ़िल्म हिन्दी में बने तो ख़ूब चलती है।
क्योंकि बिन हिन्दी न इसकी दाल गलती है।।

नेता हिन्दी बोलकर जनता को फुसलाते।
और मुवक़्क़ील को वक़ील हिन्दी में समझाते।।

पर प्रशासन काज सब इंग्लिश की भाषा है।
है यही दुर्भाग्य भारत में निराशा है।।

सारे विकसित देशों की तुम देख लो पहचान।
अपनी भाषाओं का वे करते हैं नित सम्मान।।

छोड़कर अधिकार अपना भीख ना चाहो।
हिन्दी सीखो हिन्दी बोलो हिन्दी अपनाओ।।

जागो भारतवासियो! तुम हिन्दी अपनाओ।
हिन्दी है भाषा हमारी गीत ये गाओ।।