Aap aaye toh khayal-e-dil lyrics 1963

AAP AAYE TOH KHAYAL-E-DIL
GOLDEN LYRICS IN HINDI 1963

❛ आप आये तो ख़याल…❜

आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया (२)
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||ध्रु.||
आपके लब पे कभी अपना भी नाम आया था
शोख़ नज़रों से मोहब्बत का सलाम आया था
उम्र भर साथ निभाने का पयाम आया था (२)
आपको देख के वो अहद-ए-वफ़ा याद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||१||
रूह में जल उठे बुझती हुई यादों के दिये
कैसे दीवाने थे हम आपको पाने के लिये
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने अहसान किये (२)
पर जो माँगे से न पाया वो सिला याद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||२||
आज वो बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में तो ये हल्की-सी मुलाक़ात तो है
ग़ैर का हो के भी ये हुस्न मेरे साथ तो है (२)
हाय किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||३||
फ़िल्म:- गुमराह (१९६३)
गीतकार:- साहिर लुधियानवी
संगीतकार:- रवि
गायक:- मोहम्मद रफ़ी

शब्दार्थ
अहद:- वादा
नाशाद:- दुखी, नाराज़

❛ आप आये तो ख़याल…❜

आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया (२)
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||ध्रु.||

आपके लब पे कभी अपना भी नाम आया था
शोख़ नज़रों से मोहब्बत का सलाम आया था
उम्र भर साथ निभाने का पयाम आया था (२)
आपको देख के वो अहद-ए-वफ़ा याद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||१||

रूह में जल उठे बुझती हुई यादों के दिये
कैसे दीवाने थे हम आपको पाने के लिये
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने अहसान किये (२)
पर जो माँगे से न पाया वो सिला याद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||२||

आज वो बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में तो ये हल्की-सी मुलाक़ात तो है
ग़ैर का हो के भी ये हुस्न मेरे साथ तो है (२)
हाय किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप आये… ||३||

फ़िल्म:- गुमराह (१९६३)
गीतकार:- साहिर लुधियानवी
संगीतकार:- रवि
गायक:- मोहम्मद रफ़ी

PDF DOWNLOAD आप आये तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद.गुमराह (१९६३)