AB KYA MISAAL DOON MAIN LYRICS 1962
❛ अब क्या मिसाल दूँ…❜
अब क्या, मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
इन्सान बन गयी है किरन माहताब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||ध्रु.||
चेहरे में घुल गया है, हसीं चाँदनी का नूर
आँखों में, है चमन की, जवाँ रात का सुरूर
गर्दन है, इक झुकी हुई डाली, डाली गुलाब की
अब क्या, मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||१||
गेसू खुले तो शाम के, दिल से धुँआ उठे
छू ले क़दम तो झुक के, न फिर आसमाँ उठे
सौ बार झिलमिलाये शमा, शमा आफ़ताब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||२||
दीवारो-दर का रंग ये आँचल ये पैरहन
घर का मेरे चराग़ है, बूटा-सा ये बदन
तसवीर हो तुम्हीं मेरे जन्नत के, जन्नत के ख़्वाब की
अब क्या, मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
इन्सान बन गयी है किरन माहताब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||३||
माहताब:- चन्द्र; आफ़ताब:- सूर्य; पैरहन:- पहनावा
फ़िल्म:- आरती (१९६२)
गीतकार:- मजरूह सुल्तानपुरी
संगीतकार:- रोशन
गायक:- मोहम्मद रफ़ी
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अब क्या, मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
इन्सान बन गयी है किरन माहताब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||ध्रु.||
चेहरे में घुल गया है, हसीं चाँदनी का नूर
आँखों में, है चमन की, जवाँ रात का सुरूर
गर्दन है, इक झुकी हुई डाली, डाली गुलाब की
अब क्या, मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||१||
गेसू खुले तो शाम के, दिल से धुँआ उठे
छू ले क़दम तो झुक के, न फिर आसमाँ उठे
सौ बार झिलमिलाये शमा, शमा आफ़ताब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||२||
दीवारो-दर का रंग ये आँचल ये पैरहन
घर का मेरे चराग़ है, बूटा-सा ये बदन
तसवीर हो तुम्हीं मेरे जन्नत के, जन्नत के ख़्वाब की
अब क्या, मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की
इन्सान बन गयी है किरन माहताब की
अब क्या मिसाल दूँ… ||३||
फ़िल्म:- आरती (१९६२)
गीतकार:- मजरूह सुल्तानपुरी
संगीतकार:- रोशन
गायक:- मोहम्मद रफ़ी
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