ANKHIYON KE JHAROKHON SE
GOLDEN LYRICS IN HINDI 1978
❛ अँखियों के झरोखों से…❜
अँखियों के झरोकों से, मैंनेे देखा जो साँवरे (२)
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बन्द करके झरोकों को, ज़रा बैठी जो सोचने (२)
मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए
अँखियों के झरोकों से… ||ध्रु||
इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे हाय मुझे कुछ होने लगा है
इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे हाय मुझे कुछ होने लगा है
इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल के (२)
यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए
अँखियों के झरोकों से… ||१||
जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
दिन-रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्ते (२)
कभी अपनी उम्मीदों का कोई फूल न मुरझाए
अँखियों के झरोकों से… ||२||
मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रँगी हूँ
जगते हुए सोयी रही नींदों में जगी हूँ
ऊँ ऊँ ऊँऽऽऽ, ऊँ ऊँ ऊँ
मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रँगी हूँ
जगते हुए सोयी रही नींदों में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने, कहीं कोई न छीन ले (२)
मन सोच के घबराए, यही सोच के घबराए
अँखियों के झरोकों से, मैंनेे देखा जो साँवरे
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बन्द करके झरोकों को, ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए
हुँम् हुँऽऽऽम् हुँम् हुँम् हुँम् (२)… ||३||
फ़िल्म:- अँखियों के झरोखों से (१९७८)
गीतकार:- रविन्द्र जैन
संगीतकार:- रविन्द्र जैन
गायिका:- लता मंगेशकर
❛ अँखियों के झरोखों से…❜
अँखियों के झरोकों से, मैंनेे देखा जो साँवरे (२)
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बन्द करके झरोकों को, ज़रा बैठी जो सोचने (२)
मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए
अँखियों के झरोकों से… ||ध्रु||
इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे हाय मुझे कुछ होने लगा है
इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे हाय मुझे कुछ होने लगा है
इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल के (२)
यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए
अँखियों के झरोकों से… ||१||
जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
दिन-रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्ते (२)
कभी अपनी उम्मीदों का कोई फूल न मुरझाए
अँखियों के झरोकों से… ||२||
मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रँगी हूँ
जगते हुए सोयी रही नींदों में जगी हूँ
ऊँ ऊँ ऊँऽऽऽ, ऊँ ऊँ ऊँ
मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रँगी हूँ
जगते हुए सोयी रही नींदों में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने, कहीं कोई न छीन ले (२)
मन सोच के घबराए, यही सोच के घबराए
अँखियों के झरोकों से, मैंनेे देखा जो साँवरे
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बन्द करके झरोकों को, ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए
हुँम् हुँऽऽऽम् हुँम् हुँम् हुँम् (२)… ||३||
फ़िल्म:- अँखियों के झरोखों से (१९७८)
गीतकार:- रविन्द्र जैन
संगीतकार:- रविन्द्र जैन
गायिका:- लता मंगेशकर
ध्यान दें:- गीत-रिकॉर्डिंग के समय शब्द (Word) के अन्त में आनेवाले ‘ख’ ‘ठ’ ‘ढ’अक्षर (Letter) माइक पर धमाका (Blast) करते हैं, इसलिये आवश्यकता अनुसार उन अक्षरों को ख की जगह क, ठ की जगह ट और ढ की जगह ड उच्चारण करते हैं। इस गीत में झरोखों को झरोकों उच्चारण किया गया है।
PDF DOWNLOAD अँखियों के झरोखों से (शीर्षगीत १९७८)
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