APNI TOH HAR AAH EK TOOFAN HAI LYRICS 1960

APNI TOH HAR AAH EK TOOFAN HAI LYRICS 1960

❛ अपनी तो हर आह…❜

अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है (२)
क्या करें वो जानकर अनजान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||ध्रु||
अब तो हँस के अपनी भी क़िस्मत को चमका दे
कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुश्किल है तो क्या आसान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||१||
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जायेंगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||२||
दिल ही तो है इसने शायद भूल भी की है
ज़िन्दगी है भूलकर ही राह मिलती है
माफ़ कर बन्दा भी इक इन्सान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है (२)
क्या करें वो जानकर अनजान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||३||
फ़िल्म:- काला बाज़ार (१९६०)
गीतकार:- शैलेन्द्र
संगीतकार:- एस. डी. बर्मन
गायक:- मोहम्मद रफ़ी

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अपनी तो हर आह.काला बाज़ार (१९६०)

अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है (२)
क्या करें वो जानकर अनजान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||ध्रु||

अब तो हँस के अपनी भी क़िस्मत को चमका दे
कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुश्किल है तो क्या आसान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||१||

सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जायेंगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||२||

दिल ही तो है इसने शायद भूल भी की है
ज़िन्दगी है भूलकर ही राह मिलती है
माफ़ कर बन्दा भी इक इन्सान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है (२)
क्या करें वो जानकर अनजान है
ऊपरवाला जानकर अनजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है… ||३||

फ़िल्म:- काला बाज़ार (१९६०)
गीतकार:- शैलेन्द्र
संगीतकार:- एस. डी. बर्मन
गायक:- मोहम्मद रफ़ी