Asir-E-Panja Huye hum jinke liye barbaad
Golden lyircs 1951
हुए हम जिनके लिये बरबाद
ADLIB आऽऽऽ… हाँ आ आ आऽऽऽ…
असीर-ए-पंजा-एऽऽऽ-अहद-ए-शबाब करके मुझे
कहाँ गया मेरा बचपनऽऽऽ ख़राब करके मुझे
एऽऽऽ एऽऽऽ… ए ए ए एऽऽऽ… ए एऽऽऽ…
हुए हम जिनके लिये बरबाद, वो चाहे हमको करें ना याद
जीवन भर (२) उनकी याद में हम गाये जायेंगे
गाये जायेंगे… ||ध्रु||
[ एक ज़माना था वो पल भर, हमसे रहे ना दूर
हमसे रहे ना दूर ] (२)
एक ज़माना ये के हुए हैं, मिलने से मजबूर
मिलने से मजबूर
वो ग़म से लाख रहें आज़ाद, सुनें ना दर्द भरी फ़रियाद
अफ़साना (२) हम तो प्यार का, दोहराये जायेंगे
गाये जायेंगे… ||१||
मैं हू ऐसा दीप के जिसमें (२) ना बाती ना तेल (२)
[ बचपन बीता बनी मोहब्बत, चार दिनों का खेल
चार दिनों का खेल ] (२)
रहे ये दिल का नगर आबाद, बसी है जिसमें किसी की याद
हम दिल को (२) उनकी याद से, बहलाये जायेंगे
गाये जायेंगे
हुए हम जिनके लिये बरबाद, वो चाहे हमको करें ना याद
जीवन भर (२) उनकी याद में हम गाये जायेंगे
गाये जायेंगे… ||२||
फ़िल्म:- दीदार (१९५१)
गीतकार:- शकील बदायुनी
संगीतकार:- नौशाद अली
गायक:- मोहम्मद रफ़ी
शब्दार्थ
असीर:- क़ैद
पंजा:- हाथ का पंजा
अहद:- समय, वक़्त
शबाब:- यौवन, जवानी
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब करके मुझे
कहाँ गया मेरा बचपन ख़राब करके मुझे
जवानी के समय अपने पंजों में क़ैद करके, मेरा बचपन मुझे ख़राब करके कहाँ चला गया?