कबीरवाणी (गुरु को अंग) Sanjay Sonkar December 13, 2019 कबीर के दोहे No Comments 1668 Views गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम। कीट न जाने भृंग को, गुरु करें आप समान।।१।। ❑अर्थ➠ गुरु को दण्डवत होकर करोड़ों बार प्रणाम कीजिये; क्योंकि जिस प्रकार कीड़ा … [Continue Reading...]