Category: स्तोत्र-संग्रह
शिवपूजा में बेलपत्र का विशेष महत्त्व है। शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण करते समय बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पठन करने से मन अहोभाव से भर जाता है। लिंगाष्टकम् की तरह यह …
अथर्वशीर्ष का अर्थ होता है, अथर्ववेद का शिरोभाग। वेद के चार भाग है, १)संहिता, २)ब्राह्मण, ३)आरण्यक तथा ४)उपनिषद्। जिन्हें श्रुति कहा जाता है। पाँच अथर्वशीर्ष हैं─ गणपत्यथर्वशीर्षम्, शिवाथर्वशीर्षम्, देव्यथर्वशीर्षम्, …
सनातन पुरुष भगवान नारायण ने संकल्प किया⼀'मैं जीवों की सृष्टि करूँ।' (अत: उन्हीं से सबकी उत्पत्ति हुई है।) नारायण से ही समष्टिगत प्राण उत्पन्न होता है, उन्हीं से मन …
पाँचों अथर्वशीर्ष में सबसे संक्षिप्त और सरल है। इसकी फलश्रुति में बताया गया है कि इसके पाठ से चारों वेदों के पाठ का फल प्राप्त होता है। मनुष्य सभी …
शिव अथर्वशीर्ष अर्थ शिवाथर्वशीर्षम् पाँच अथर्वशीर्ष में सबसे बड़ा है। शिव उपासना में इसका विशेष महत्त्व है। इसमें बड़े-बड़े कुल सात अनुच्छेद है। आइये,https://sugamgyaansangam.com के इस पोस्ट में इसका …
सभी देवता देवी के समीप गये और नम्रता से पूछने लगे, हे महादेवि! तुम कौन हो? देवी ने कहा⸺मैं ब्रह्मस्वरूपा हूँ। मुझसे प्रकृति-पुरुषात्मक सद्रूप और असद्रूप जगत् उत्पन्न हुआ …
श्रीस्कन्दमहापुराण के कुमारिकाखण्ड में स्कन्द द्वारा की गयी यह शिवस्तुति है, जिसका प्रवाह शिवपंचाक्षरी स्तोत्र की तरह है। इसकी फलश्रुति में स्वयं भगवान् शिव ने कहा है, जो लोग …
इस अथर्वशीर्ष के पाठ का अद्भुत फल बताया गया है। इसके पाठ से सभी तीर्थों में स्नान का, सभी यज्ञों के करने का, साठ हजार गायत्री जप का, एक …
देवी अथर्वशीर्ष अथर्वशीर्ष की परम्परा देव्यथर्वशीर्ष की अत्यन्त प्रसिद्धि है। इसके पाठ से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इसकी फलश्रुति में बताया गया है कि इसके पाठ …
भगवान् सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं, इनकी आराधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है। सूर्याथर्वशीर्षम् भगवान् सूर्य की कृपा पाने के लिये बड़ा ही सुगम साधन है।