Category: स्तोत्र-संग्रह
इस अथर्वशीर्ष के पाठ का अद्भुत फल बताया गया है। इसके पाठ से सभी तीर्थों में स्नान का, सभी यज्ञों के करने का, साठ हजार गायत्री जप का, एक …
देवी अथर्वशीर्ष अथर्वशीर्ष की परम्परा देव्यथर्वशीर्ष की अत्यन्त प्रसिद्धि है। इसके पाठ से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इसकी फलश्रुति में बताया गया है कि इसके पाठ …
भगवान् सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं, इनकी आराधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है। सूर्याथर्वशीर्षम् भगवान् सूर्य की कृपा पाने के लिये बड़ा ही सुगम साधन है।
अथर्वशीर्ष-परम्परा में सूर्याथर्वशीर्ष परिमाण की दृष्टि से लघुकाय है, परन्तु इसका महत्त्व व्यापक है।
इस पोेस्ट में गणेश जी के दो स्तोत्र का उल्लेख है। श्री गणपति वंदना और विघ्न नाशक गणेश स्तोत्र। दोनों ही संक्षिप्त और प्रभावशाली हैं।
श्रीगणाधिपस्तोत्रम् पंचचामर छन्द पर आधारित श्रीमत् शंकराचार्य की रचना है। यदि आपने शिवताण्डव सुना या पढ़ा है तो निश्चित ही यह स्तोत्र सुनना या बोलना चाहेंगे। इसे बोलते समय …
माँ गंगा हमारी आराध्या हैं। हमारे जीते जी भी हमें अपने जल से तृप्त करती हैं और मरणोपरान्त भी सद्गति प्रदान करती हैं। भले हम गंगा-तट वासी न हों, …
वेदसारशिवस्तवः भुजंगप्रयात छन्द पर आधारित श्रीमद् शंकराचार्य द्वारा रचित भगवान् शिव की स्तुति है। रुद्राष्टकम् की तरह इसका प्रवाह इतना मधुर है कि मन सहज इसे भजने लगता है।
कीलक स्तोत्र एक प्रकार से दुर्गासप्तशती का माहात्म्य है। दुर्गासप्तशती के पाठ के पूर्व इसका सस्वर पाठ करने से फलीभूत माना जाता है।
विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् आद्यशक्ति माता के अनेक रूप हैं, लेकिन हर रूप में उनका मातृत्व एक ही है। समय, देश, स्थान के अनुरूप उनसे अनेक कथाएँ जुड़ी हैं। श्रीमद्देवीभागवत के …