Category: स्तोत्र-संग्रह

महादेव स्तुति

शिवजी कहते हैं:- मेरे सान्निध्य में निरन्तर इसका पाठ करने से अविवेकीजनों की भी दुराचार में प्रवृत्ति नहीं होगी। इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य ग्रहजनित पीड़ा को …

अर्गला स्तोत्र

अर्गला स्तोत्र मार्कण्डेय ऋषि द्वारा कहा गया एक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली स्तोत्र है। श्री जगदम्बा की प्रीति के लिये इसका पाठ किया जाता है।

दुर्गा के ३२ नाम

दुर्गा के ३२ नाम अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला एक समय की बात है, ब्रह्मा आदि देवताओं को पुष्प आदि विविध उपचारों से महेश्वरी दुर्गा का पूजन किया। इससे प्रसन्न होकर दुर्गतिनाशिनी …

दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् में भगवती दुर्गा के १०८ नाम है, जिनके नित्य पाठ से इस संसार में कुछ असाध्य नहीं रहता। श्रीविश्‍वसारतन्त्र के अन्तर्गत भगवान शिव के श्रीमुख से यह बोला …

दुर्गापदुद्धार स्तोत्र हिन्दी अर्थ

दुर्गापदुद्धार हिन्दी श्रीदुर्गापदुद्धारस्तोत्रम्हिन्दी अर्थ सहित ❑➧नमस्ते शरण्ये शिवे सानुकम्पे नमस्ते जगद्व्यापिके विश्वरूपे।नमस्ते जगद्वन्द्य पादारविन्दे नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे।।१।।❑अर्थ➠ शरणागत की रक्षा करनेवाली तथा भक्तों पर अनुग्रह करनेवाली हे शिवे! …

दुर्गापदुद्धार स्तोत्र

श्री सिद्धेश्वरी तन्त्र के अन्तर्गत उमा महेश्वर संवाद में श्री दुर्गापदुद्धार स्तोत्र का उल्लेख है। इसके माहात्म्य में भगवान् शिव ने कहा है इसके पाठ से इस संसार को …

रात्रि सूक्त का पाठ

रात्रि को सामान्यतः तमस् अन्धकार माना जाता है, परन्तु सनातन धर्म में सर्वं खल्विदं ब्रह्म अर्थ सब कुछ ब्रह्ममय (ईश्वरमय) है। अतः रात्रिमय भुवनेश्वरी की स्तुति ईश्वर की ही …

अन्नपूर्णा स्तोत्र

माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से ही समस्त संसार का भरण पोषण होता है। उनकी आराधना से रोग-शोक का निवारण होता है। माता अन्नपूर्णा से ही हर किसी की जीवन-ज्योति …

अर्धनारीश्वर स्तोत्र

अर्धनारीश्वर स्तोत्र श्रीमद् शंकराचार्य की रचना है, जिसमें उन्होंने शिवशक्ति के अर्धनारीश्वरस्वरूप का वर्णन करके शिवपार्वती को प्रणाम किया है। आठ श्लोकों का यह स्तोत्र इष्टसिद्धि करनेवाला है। जो …

गजेंद्र मोक्ष का पाठ

गजेंद्र मोक्ष का पाठ ❀ गजेन्द्रमोक्ष ❀ (❑➧मूलश्लोक ❍लघुशब्द) श्री शुक उवाच-❑➧एवं व्यवसितो बुद्धया समाधाय मनो हृदि।जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम्।।१।।❍ एवं व्यवसितो बुद्धयासमाधाय मनो हृदि।जजाप परमं जाप्यंप्राग्-जन्मन्य-नु-शिक्षितम्।।१।। गजेन्द्र उवाच-❑➧ॐ …