Category: अध्यात्म
ईश्वर माँ की तरह हैं प्रस्तुत लेख स्वामी रामसुखदासजी महाराज के सत्संग का अंश है। साधन सुधा सिन्धु (भक्तियोग) गीताप्रेस गोरखपुर की पुस्तिका में प्रकाशित है। स्वामीजी ने माँ …
आत्म अनुभव को अंग (कबीर के दोहे) आत्मा कहते हैं अपने आपको। इस प्रसंग में अपने आपके अनुभव की ओर संकेत है। नर नारी के सुख को, खँसी नहीं …
महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास से शायद ही कोई सनातनधर्मी अपरिचित हो। महाभारत के अलावा महर्षि वेदव्यास ने १८ पुराणों एवं ब्रह्मसूत्र की रचना की। कहा जाता है, संसार …
श्रेयान् स्वधर्मो विगुण: श्रेयान् स्वधर्मो विगुण: परधर्मात् स्वनुष्ठितात्। स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह:॥ यह भगवद्गीता के तीसरे अध्याय का ३५वाँ श्लोक है। वर्तमान समय में पढ़ा-लिखा सभ्य, लेकिन संस्कार …
सर्वधर्मान्परित्यज्य… सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥६६॥ यह श्रीमद्गवद्गीता के अठारहवें अध्याय का ६६ वाँ श्लोक है। जो गीता का सबसे गुह्य श्लोक माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने करुणा करके अर्जुन से …
यदा यदा हि धर्मस्य… यह श्लोक हमने कई बार सुना होगा। इसका अर्थ क्या है? आज हम जानेंगे। यह श्रीमद्भवद्गीता के चौथे अध्याय का सातवाँ और आठवाँ श्लोक है। …
निंदक नियरे राखिये… निन्दक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निरमल करै सुभाय।। शायद ही कोई हिन्दी भाषी होगा, जिसने संत कबीर का यह दोहा न …
श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम्-विष्णुपुराण श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् विष्णुमहापुराण में इन्द्र के द्वारा माता लक्ष्मी की स्तुति की गयी है, जो बहुत ही प्रभावशाली है। इस पोस्ट में श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् को मूल ❑➧श्लोकों लघु❍शब्दों में रूपान्तरित …
मांसाहार को अंग मुस्लिम के लिये कबीर के दोहे मांसाहार मनुष्य के लिये नहीं है, यह कबीर साहेब ने खुलेआम कहा है। उन्होंने इस सन्दर्भ में हिन्दुओं को भी …
मांसाहार को अंग हिन्दू के लिये (कबीर के दोहे) मांस खाना न सेहत की दृष्टि से अच्छा है, न धर्म की दृष्टि से। मनुष्य केवल स्वाद के अभिभूत होकर …