Category: चाणक्य

Chanakya Niti Chapter – 2

अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता। अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।१।। झूठ बोलना, बिना सोचे-समझे किसी कार्य को प्रारंभ कर देना, दुस्साहस करना, छल-कपट करना, मूर्खतापूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्र …

चाणक्य नीति अध्याय-१

नीति शब्द से जुड़कर बना राजनीति शब्द का आज के समय में बड़ा ही बेहूदा अर्थ लगाया जाता है किन्तु नीति का अर्थ होता है सुव्यवस्था और राजनीति का …

CHANAKYA SUTRA 6 TO 10

।।राज्यपाल इन्द्रिय जयः।।६।। राज्य का मूल इन्द्रियों को अपने वश में रखना है। प्रत्येक राष्ट्र जो उन्नति करता है, वहाँ के सर्वोच्च पदाधिकारियों का कर्त्तव्य है कि वे अपनी …

CHANAKYA SUTRA 1 TO 5

सूत्र छोटे-छोटे किन्तु सारगर्भित वाक्य होते हैं, जो आपस में भलीभाँति जुड़े होते हैं। इसलिये नीतियों को पढ़ते समय विषयान्तर हो सकता है, परन्तु सूत्रों में ऐसा नहीं होता।