Kamar Patli Nazar Bijli Lyrics 1968

KAMAR PATLI NAZAR BIJLI
GOLDEN LYRICS IN HINDI 1968

❛ कमर पतली नज़र बिजली…❜

[ कमर पतली, नज़र बिजली, सुराहीदार गर्दन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो ] (२)
ये जुल्फ़ों की, घटा काली, मचलता जैसे सावन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली… ||ध्रु.||

बदन ऐसा, है चिकना के, फिसलती है निगाहें
तड़प जाता, है दिल अपना, चमकती है जो बाँहें
ज़मीं झूमें, क़दम चूमें, जवानी का ये आलम
तुम्हीं कह दो, के ऐसे में, तुम्हें कैसे न चाहें
क़रीब आकर, कभी सुन लो, हमारे दिल की धड़कन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली, नज़र बिजली, सुराहीदार गर्दन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली… ||१||

नज़र जिसकी, पड़ी तुम पर, कलेजा थाम लेगा
इशारा तुम, जिसे कर दो, वो कब आराम लेगा
मगर मुझसे, तुम्हें दिलबर, कोई शिकवा न होगा
मेरा दिल है, ये लुटकर भी, तुम्हारा नाम लेगा
न छूटेगा, कभी मुझसे, वफ़ा का पाक दामन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली, नज़र बिजली, सुराहीदार गर्दन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
ये जुल्फ़ों की, घटा काली, मचलता जैसे सावन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो… ||२||

फ़िल्म:- कहीं दिन कहीं रात (१९६८)
गीतकार:- एस. एच. बिहारी
संगीतकार:- ओ. पी. नैय्यर
गायक:- महेन्द्र कपूर

How to search:- गुगल पर गीत के बोल टाइप करें, उसके बाद golden lyrics या lyrics golden टाइप करें। हर गीत का PDF अन्त में उपलब्ध है।

❛ कमर पतली नज़र बिजली…❜

[ कमर पतली, नज़र बिजली, सुराहीदार गर्दन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो ] (२)
ये जुल्फ़ों की, घटा काली, मचलता जैसे सावन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली… ||ध्रु.||

बदन ऐसा, है चिकना के, फिसलती है निगाहें
तड़प जाता, है दिल अपना, चमकती है जो बाँहें
ज़मीं झूमें, क़दम चूमें, जवानी का ये आलम
तुम्हीं कह दो, के ऐसे में, तुम्हें कैसे न चाहें
क़रीब आकर, कभी सुन लो, हमारे दिल की धड़कन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली, नज़र बिजली, सुराहीदार गर्दन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली… ||१||

नज़र जिसकी, पड़ी तुम पर, कलेजा थाम लेगा
इशारा तुम, जिसे कर दो, वो कब आराम लेगा
मगर मुझसे, तुम्हें दिलबर, कोई शिकवा न होगा
मेरा दिल है, ये लुटकर भी, तुम्हारा नाम लेगा
न छूटेगा, कभी मुझसे, वफ़ा का पाक दामन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
कमर पतली, नज़र बिजली, सुराहीदार गर्दन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो
ये जुल्फ़ों की, घटा काली, मचलता जैसे सावन
क़यामत से मेरी जाँ, कम नहीं हो… ||२||

फ़िल्म:- कहीं दिन कहीं रात (१९६८)
गीतकार:- एस. एच. बिहारी
संगीतकार:- ओ. पी. नैय्यर
गायक:- महेन्द्र कपूर

PDF कमर पतली नज़र बिजली.कहीं दिन कहीं रात (१९६८)