NAVGRAH KAVACH
नवग्रहों का हमारे जीवन पर अत्यन्त प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की दशा जब इन्सान को घेर लेती है तो जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। तब एक उपाय होता है, ग्रहों की प्रसन्नता! शरणागति से कौन प्रसन्न नहीं होता?
नवग्रह कवच यामल तन्त्र का ऐसा स्तोत्र, जिसमें नवग्रहों से ही अपने सर्वांगों की रक्षा करने की विनती है। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ एवं श्रवण करने से अत्यन्त लाभ होता है।
यह कवच गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित किताब नवग्रह (कोड-1018) आधारित है। जो यामल तन्त्र के अनुसार है जिसमें सात पद हैं। अन्य ग्रन्थों में इसके अनेक भेद हैं। किसी में नौ पद तो किसी में ग्यारह पद भी हैं, लेकिन सर्वमान्य यामल तन्त्र ही है।
नवग्रह कवच
❑➧ॐ शिरो मे पातु मार्त्तण्डः कपालं रोहिणीपतिः।
मुखमङ्गारकः पातु कण्ठं च शशिनन्दनः।।१।।
❍ ॐ शिरो मे पातु मार्त्तण्डः
कपालं रोहिणी-पतिः।
मुख-मङ्गारकः पातु
कण्ठं च शशि-नन्दनः।।१।।
❑➧बुद्धि जीवः सदा पातु हृदयं भृगुनन्दनः।
जठरं च शनिः पातु जिह्वां मे दितिनन्दन।।२।।
❍ बुद्धि जीवः सदा पातु
हृदयं भृगु-नन्दनः।
जठरं च शनिः पातु
जिह्वां मे दिति-नन्दन।।२।।
❑➧पादौ केतुः सदा पातु वाराः सर्वाङ्गमेव च।
तिथयोऽष्टौ दिशः पातु नक्षत्राणि वपुः सदा।।३।।
❍ पादौ केतुः सदा पातु
वाराः सर्वाङ्ग-मेव च।
तिथयोऽष्टौ दिशः पातु
नक्षत्राणि वपुः सदा।।३।।
❑➧अंसौ राशिः सदा पातु योगश्च स्थैर्यमेव च।
सुचिरायुः सुखी पुत्री युुद्धे च विजयी भवेत्।
रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्।।४।।
❍ अंसौ राशिः सदा पातु
योगश्च स्थैर्य-मेव च।
सुचिरायुः सुखी पुत्री
युुद्धे च विजयी भवेत्।
रोगात्-प्रमुच्यते रोगी
बन्धो मुच्येत बन्धनात्।।४।।
❑➧श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते।।
यः करे धारयेन्नित्यं रिष्टिर्न तस्य जायते।।५।।
❍ श्रियं च लभते नित्यं
रिष्टिस्-तस्य न जायते।
यः करे धारयेन्-नित्यं
तस्य रिष्टिर्न जायते।।५।।
❑➧पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते।
मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्।।६।।
❍ पठनात् कवच-स्यास्य
सर्वपापात् प्रमुच्यते।
मृत-वत्सा च या नारी
काक-वन्ध्या च या भवेत्।।६।।
❑➧जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशयः।
एतां रक्षां पठेद् यस्तु अङ्गं स्पृष्ट्वापि वा पठेत्।।७।।
❍ जीव-वत्सा पुत्रवती
भवत्येव न संशयः।
एतां रक्षां पठेद् यस्तु
अङ्गं स्पृष्ट्वापि वा पठेत्।।७।।
नवग्रह कवच का माहात्म्य
ये नौ ग्रहों का सर्वश्रेष्ठ कवच स्तोत्र है। इसके पठन मात्र से नवग्रह हमारी रक्षा करने लगते हैं। इस स्तोत्र के माहात्म्य में बताया हुआ है कि इस स्तोत्र के प्रतिदिन पाठ से सभी ग्रह हमारे शरीर के सभी अंगो के रक्षा करते हैं
इसके पाठ से किसी भी प्रकार के युद्ध में विजय प्राप्ति होती है। जिनको पुत्र की कामना है, उन्हें पुत्र प्राप्त होता है।
धन की कामना करनेवाले को धन-प्राप्ति होती है। विवाह में आनेवाली अड़चनें दूर हो जाती हैं। वन्ध्या स्त्री को पुत्र-प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है। आरोग्य प्राप्ति के साथ मनुष्य निर्भय हो जाता है।
इस कवच को भोजपत्र में लिखकर भुजाओं में धारण करने नवग्रहों कृपा हम बनी रहती है। यह कवच सर्वोत्तम है जो नौ ग्रहों की बाधाओं में से मुक्त कर समस्त सुख प्रदान करता है।
Navgrah Kavach PDF DOWNLOAD
पहले ३ shlok में गुरु गरू ग्रह का नाम कोनसा से?
Please do reply.
Thanks and regards.
बहुत ही सुदर रचना है आपकी महाराज जी मैं आप का बहुत ही आभारी हूं 🙏 जो आप ने सर्व कल्याण के किये यह सरल मंत्र रचना की।
धन्यवाद!