कनकधारा स्तोत्र हिन्दी अर्थ ❀ श्री कनकधारास्तोत्रम् ❀(❑➧मूलश्लोक ❑अर्थ➠सहित) ❑➧अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवताया।।१।।❑अर्थ➠ जैसे भ्रमरी अधखिले पुष्पों से अलंकृत तमाल-तरु (पत्तों के पेड़) का आश्रय लेती …
शरीरं सुरूपं तथा वा कलत्रं यशश्चारु चित्रं धनं मेरुतुल्यम्। मनश्चेन्न लग्नं गुरोरङ्घ्रिपद्मे ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।१।।
शिवलिङ्ग भगवान शंकर का ही स्वरूप है। लिङ्गाष्टकम् शिवलिङ्ग की स्तुति करने का सर्वोत्तम और लोकप्रिय अष्टक है। लोकप्रिय इसलिये है; क्योंकि इसकी संस्कृत बड़ी सरल है, जो आसानी …
दारिद्र्य दहन स्तोत्र महर्षि वसिष्ठ द्वारा रचित अद्भुत स्तोत्र है। शिवभक्तों को इसकी महिमा बतलाने की आवश्यकता नहीं। त्रिकाल सन्ध्या (प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल) में इसका पाठ करने से …
❑अर्थ➠ शिवजी बोले, सुनो देवी! मैं उत्तम कुंजिकास्तोत्र का उपदेश करूँगा, जिस मन्त्र के प्रभाव से देवी का जप (पाठ) सफल होता है।।१।।